.
हूँ सामने तेरे हर वक़्त पास हूँ
साया समझ मुझे ....
एहसास का अपमान न कर..
जमीं पे गुज़रा हर लम्हा...
आसमा से मैं भी तकती हूँ
हैं तेरी आँखों में गर जुगनू....
बूंदों से मैं बरसती हूँ
कभी बदरी में आती हूँ....
कभी हवा से कहती हूँ...
मांग कुदरत से भीख यूँ...
तुझे छूने को तरसती हूँ
मेरा वजूद है तुझसे.....
आज भी सांस लेता हुआ...
बोलती , हंसती , गुनगुनाती...
है तेरी मां देख "तुझमे " !!!