खुश्क होठों को रुबानी दे दे...
ए खुदा मुझे पहले सी जिंदगानी देदे
रह के गुलशन में सूख रहा है जो..
गुल को काँटों की निशानी दे दे
रोते बच्चे को सुना सकूँ मैं जो..
खवाब सी ऐसी कहानी दे दे
क़तरा ए शबनम जलाये है मुझे...
फिर से बरसात में आग का पानी दे दे
साफ़ चादर की चमक चुभती है...
सिलवटें इसको पुरानी दे दे
वफ़ा इंसां की नाप सके जो....
दुनिया को ऐसी क़द्रदानी दे दे
अलसाई पलकों पे न हो माज़ी.....
सुबह कोई ऐसी सुहानी दे दे
थक के सो जाऊं मैं जहां रुक के...
गोद कोई ऐसी रूहानी दे दे !!!
ए खुदा मुझे पहले सी जिंदगानी देदे
रह के गुलशन में सूख रहा है जो..
गुल को काँटों की निशानी दे दे
रोते बच्चे को सुना सकूँ मैं जो..
खवाब सी ऐसी कहानी दे दे
क़तरा ए शबनम जलाये है मुझे...
फिर से बरसात में आग का पानी दे दे
साफ़ चादर की चमक चुभती है...
सिलवटें इसको पुरानी दे दे
वफ़ा इंसां की नाप सके जो....
दुनिया को ऐसी क़द्रदानी दे दे
अलसाई पलकों पे न हो माज़ी.....
सुबह कोई ऐसी सुहानी दे दे
थक के सो जाऊं मैं जहां रुक के...
गोद कोई ऐसी रूहानी दे दे !!!