नित नया संघर्ष....
समस्याओं का उत्कर्ष...
संवेदनाओं का समायोजन...
यही है जीवन...!!
आशंकित आँखों से...
अपने ही अस्तित्व को..
खोजता यौवन...
यही है जीवन...!!
निराधार तथ्य...
डगमगाते सम्बन्ध...
न्योछावर...तन-मन.
यही है जीवन...!!!
कौन हूँ मैं…? एक कवियित्री , एक लेखिका ,एक दार्शिनिक या सिर्फ एक संवेदनशील मन …पता नहीं , पर कुछ तो है जो मुझे औरों से जुदा करता है …जान लूँ खुद को फिर बता दूंगी।
Wednesday, October 27, 2010
Saturday, September 25, 2010
खुश्क होठों को रुबानी दे दे...
ए खुदा मुझे पहले सी जिंदगानी देदे
रह के गुलशन में सूख रहा है जो..
गुल को काँटों की निशानी दे दे
रोते बच्चे को सुना सकूँ मैं जो..
खवाब सी ऐसी कहानी दे दे
क़तरा ए शबनम जलाये है मुझे...
फिर से बरसात में आग का पानी दे दे
साफ़ चादर की चमक चुभती है...
सिलवटें इसको पुरानी दे दे
वफ़ा इंसां की नाप सके जो....
दुनिया को ऐसी क़द्रदानी दे दे
अलसाई पलकों पे न हो माज़ी.....
सुबह कोई ऐसी सुहानी दे दे
थक के सो जाऊं मैं जहां रुक के...
गोद कोई ऐसी रूहानी दे दे !!!
ए खुदा मुझे पहले सी जिंदगानी देदे
रह के गुलशन में सूख रहा है जो..
गुल को काँटों की निशानी दे दे
रोते बच्चे को सुना सकूँ मैं जो..
खवाब सी ऐसी कहानी दे दे
क़तरा ए शबनम जलाये है मुझे...
फिर से बरसात में आग का पानी दे दे
साफ़ चादर की चमक चुभती है...
सिलवटें इसको पुरानी दे दे
वफ़ा इंसां की नाप सके जो....
दुनिया को ऐसी क़द्रदानी दे दे
अलसाई पलकों पे न हो माज़ी.....
सुबह कोई ऐसी सुहानी दे दे
थक के सो जाऊं मैं जहां रुक के...
गोद कोई ऐसी रूहानी दे दे !!!
Wednesday, September 15, 2010
FOR EACH AND EVERY ONE ... WHO LOST THEIR MOTHER....LIKE ME..
.
हूँ सामने तेरे हर वक़्त पास हूँ
साया समझ मुझे ....
एहसास का अपमान न कर..
जमीं पे गुज़रा हर लम्हा...
आसमा से मैं भी तकती हूँ
हैं तेरी आँखों में गर जुगनू....
बूंदों से मैं बरसती हूँ
कभी बदरी में आती हूँ....
कभी हवा से कहती हूँ...
मांग कुदरत से भीख यूँ...
तुझे छूने को तरसती हूँ
मेरा वजूद है तुझसे.....
आज भी सांस लेता हुआ...
बोलती , हंसती , गुनगुनाती...
है तेरी मां देख "तुझमे " !!!
हूँ सामने तेरे हर वक़्त पास हूँ
साया समझ मुझे ....
एहसास का अपमान न कर..
जमीं पे गुज़रा हर लम्हा...
आसमा से मैं भी तकती हूँ
हैं तेरी आँखों में गर जुगनू....
बूंदों से मैं बरसती हूँ
कभी बदरी में आती हूँ....
कभी हवा से कहती हूँ...
मांग कुदरत से भीख यूँ...
तुझे छूने को तरसती हूँ
मेरा वजूद है तुझसे.....
आज भी सांस लेता हुआ...
बोलती , हंसती , गुनगुनाती...
है तेरी मां देख "तुझमे " !!!
Wednesday, April 21, 2010
नेह-पाश
मेरे ख़याल होंगे...
बहुत सी मुस्कानों में कोई...
एक मुस्कान सूनी होगी..
उसी मुस्कान में छिपे..
चंद सवाल होंगे..
भीड़ में ,रेड लाइट पर..
रुके हुए तुम..
जागोगे होर्न के शोर से..
और बढ़ जाओगे आगे
मेरे नेह-पाश से !
एक और जगह है ..
जहाँ मैं मिलूंगी...
रातों को सोते कभी...
देखोगे जो अपने बाजू पे...
तुम्हे चैन से सोती...
मैं दिखूंगी..
जानती हूँ...
उस पल भी..
तुम तकोगे मुझे...
बहुत प्यार से..
की कहीं मैं जग न जाऊं..
बस एक बार..
तब मेरे बालों पे...
तुम हाथ फेर देना !
यूँ ही जीवन में..
होके दूर जीवन से...
हम निशा से नींद..
और..
भोर से स्वप्न..
बाँट लेंगे..!!
Monday, February 22, 2010
....अक्स....
Wednesday, February 17, 2010
....Remembering u....
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